नाथूराम गोडसे: जीवनी, करियर और विचारधारा

नाथूराम गोडसे: जीवनी, करियर और विचारधारा🎗


भारत में बहुत सी विभूतियों ने जन्म लिया है जिनमें से कुछ प्रख्यात हैं और कुछ कुख्यात.ऐसा ही एक चरित्र नाथूराम गोडसे का है जिसके बहुत से चाहने वाले और विरोधी भी  भारत में हैं.

नाथूराम गोडसे का जन्म 19 मई 1910 को बारामती, पुणे महाराष्ट्र में हुआ था. गाँधीजी  की हत्या के जिम्मेदार नाथूराम का व्यक्तित्व हमेशा ही भारत में राजनीति में चर्चा में बना रहता है. आइये इस लेख में नाथूराम गोडसे के बारे में जानते हैं.

नाथूराम गोडसे के बारे में व्यक्तिगत जानकारी (Personal information aboout Nathuram Godse)

पूरा नाम: नाथूराम विनायक गोडसे:- 15 नवंबर 1949)

जन्मतिथि और स्थान:- 19 मई 1910, बारामती, पुणे जिला, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, महाराष्ट्र

पिता: रामचन्द्र विनायक गोडसे

माता: लक्ष्मी 

जाति: ब्राहमण 

विचारधारा: कट्टर हिन्दू 

संगठन: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, हिन्दू महासभा 

जुर्म: महात्मा गाँधी की हत्या 

मृत्यु: 15 नवंबर 1949 (उम्र 39 वर्ष), फांसी की सजा (अम्बाला जेल, हरियाणा)

💁‍♂शुरूआती जीवन (Early Life of Nathuram Godse)

गोडसे के माता-पिता के पहले 3 लड़के बचपन में ही मर गये थे और उनकी एक बहन बची थी. इसलिए गोडसे के माता-पिता ने सोचा कि शायद कोई श्राप है जिसके कारण उनके घर में लड़के जिन्दा नहीं रहते हैं. 

इस श्राप को दूर करने के लिए उन्होंने अपने अगले बालक अर्थात नाथूराम गोडसे को कुछ सालों तक लड़की की तरह पाला और उनकी नाक में बाली (नथ) पहना दी थी ताकि उस श्राप को रोका जा सके और जब तक उनको एक और बालक नहीं हो गया तब उनकी ‘नथ’ नहीं उतारी गयी थी. इसी ‘नथ’ के कारण उनका नाम नाथूराम पड़ गया था.

💁‍♂नाथूराम गोडसे की शिक्षा(Education of Nathuram Godse)

गोडसे ने अपनी पांचवी कक्षा तक की पढाई हिंदी माध्यम में की और बाद में इंग्लिश माध्यम में पढने के लिए पुणे चले गये थे. गोडसे पढ़ने में होशियार नहीं थे और मैट्रिक परीक्षा में फेल हो गये थे जो कि उस समय निचले क्रम की सरकारी नौकरी के लिए अनिवार्य योग्यता थी. स्कूल के दिनों में नाथूराम गोडसे, गाँधी के बहुत बड़े प्रशंसक थे और उनके असहयोग आन्दोलन से प्रभावित भी थे.

💁‍♂नाथूराम गोडसे का राजनीतिक करियर (Political Career of Nathuram Godse)
नाथूराम गोडसे का व्यक्तित्व उस समय बदल गया जब गोडसे 19 वर्ष की उम्र में 1929 में दामोदर सावरकर के संपर्क में आये थे और उन्होंने 1932 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सदस्यता ग्रहण कर ली थी, इसी के साथ साथ वे हिन्दू महासभा के सदस्य भी थे.


जनवरी 2020 में ‘कारवां’ मैगज़ीन ने खबर छापी थी कि गोडसे अंत तक आरएसएस और हिन्दू महासभा के सदस्य थे.हालाँकि ऐसी कुछ ख़बरें भी हैं कि गाँधी जी की हत्या के पहले गोडसे ने आरएसएस छोड़ दी थी.

💁‍♂नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी को क्यों मारा था (Why Nathuram Killed Gandhiji)

गाँधी जी की हत्या में गोडसे, नारायण आप्टे सहित 6 अन्य लोगों का हाथ था. कोर्ट में फाइनल स्पीच के दौरान गोडसे ने कहा कि  गाँधी जी की हत्या के पीछे कई कारण हैं लेकिन इनमें मुख्य कारण हैं;

1. भारत के मुसलमानों की राजनीतिक जरूरतों को पूरा करना.

2. गाँधी जी हिन्दुस्तानी भाषा (हिंदी+उर्दू) को देश की नेशनल लैंग्वेज बनाना चाहते थे.गोडसे इसके सख्त खिलाफ थे.

3. यह तीसरा और सबसे अहम कारण है, गाँधीजी का मुसलमानों के प्रति प्यार. गोडसे ने कहा कि गाँधीजी ने मुसलमानों को अधिकार दिलाने के लिए कई बार अनशन किये लेकिन उन्होंने हिन्दुओं को अधिकार दिलाने के लिए कभी अनशन नहीं किया.

💁‍♂नाथूराम गोडसे की मृत्यु कैसे हुई (How did Nathuram Vinayak Godse die)

30 जनवरी 1948 को गाँधीजी को तीन गोली मारने के बाद गोडसे ने अपने आप को पुलिस के हवाले कर दिया था. हालाँकि घटना के तुरंत बाद भीड़ ने गोडसे को काफी पीटा था. गोडसे पर पंजाब हाई कोर्ट में मुकदमा चलाया गया था.


यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि गाँधीजी के 2 पुत्रों; मणिलाल गाँधी और रामदास गाँधी ने गोडसे की सजा को कम करने के लिए निवेदन भी किया था लेकिन पंडित नेहरू, उप-प्रधान मंत्री वल्लभभाई पटेल और गवर्नर-जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने इसे नामंजूर कर दिया था. अतः गोडसे और उसके साथियों को अम्बाला जेल में 15 नवम्बर 1949 को फांसी दे दी गयी थी.

तो यह थी नाथूराम गोडसे के जीवन की एक झलक. उम्मीद है कि आपको गोडसे के बारे कुछ नई जानकारियाँ प्राप्त हुई होंगीं.

कृपया ध्यान दें जी👉

    यद्यपि इसे तैयार करने में पूरी सावधानी रखने की कोशिश रही है। फिर भी  किसी घटना , तिथि या अन्य त्रुटि के लिए मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है ।

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