संथाल विद्रोह का इतिहास 1855

संथाल  विद्रोह का इतिहास 1855



👉संथाल एक जनजाति है। पुराने समय में यह जाति, जो की पश्चिम बंगाल और बिहार में  रहती थी और अपना गुज़र बसर करती थे।  इनका मुख्य व्यवसाय खेती था। यह लोग जंगलों की भूमि को कृषि योग्य बनाकर खेती किया करते थे। भागलपुर, नागपुर, पलामू, कटक, हज़ारीबाग़ इत्यादि जगह यह निवास करते थे। 

👉संथाल विद्रोह 1855 में शुरू हुआ और 1856 तक इसका अंत हो गया था यह विद्रोह भागलपुर से लेकर राजमहल की पहाड़ियों तक फैला हुआ था। संथाल विद्रोह का मुख्य  कारण था जो कि अंग्रेजों के द्वारा हिंदुओं पर अत्याचार और गरीब जनता पर हो रहे शोषण से मुक्ति पहुंचाना था। इस विद्रोह के मुख्य नेता चाँद,कान्हू और भैरव थे।

👉संथाल ही एक ऐसा विद्रोह जो सबसे पहली बार ब्रिटिश के खिलाफ लड़ाई में भाग लिया जिससे हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार से छुटकारा पाया जा सके। जब संथाल के क्षेत्र में अंग्रेजों का गमन हो गया तो संथाल अंग्रेजों से परेशान हो गये, अंग्रेजों ने उनकी ज़मीन हड़पना शुरू कर दी और उन पर अत्याचार करने लगे।  जिससे संथाल के जीवन में मुश्किलों के बादल घिर आये। 

👉सन 1855 में गाँव में एक बैठक हुई उसमें नेताओं ने भाग लिया और कम से कम 10000 संथाल भी शामिल हुये ।  इस पंचायत में संथाल ने यह तय किया कि अब वे जमींदारों, साहूकारों और अंग्रेजों के द्वारा किये गये अत्याचारों को नहीं सहेंगे और हम इसका बदला लेंगे। इस सभा  के बाद संथाल विद्रोह ने एक शक्तिशाली रूप ले लिया।

👉जब संथालो का ऐसा रूप अंग्रेजी सरकार ने देखा तो उनके रोगटे खड़े हो गये और अंग्रेजी सरकार ने इसका हल खोजना शुरू कर दिया।  संथालो के द्वारा किये गये इस विद्रोह में अंग्रेजों, साहूकारों, जमीदारों और अंग्रजों के साथ बहुत लड़ाईयां की गयी थी । जिसके फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने दवाब देना चालू कर दिया।

👉संथाल विद्रोह को खत्म करने के लिये अंग्रेजों ने हथियारों का उपयोग करना शुरुआत कर दिया और अपनी सेना को आदेश दे दिया कि अगर संथाल के हाथ में कोई भी हथियार दिखाई दे तो उन पर गोली चलाकर उनको तुरंत मार दिया जाये और इस तरह हजारों संथालों को मार दिया गया और कई संथालो को अपने कब्ज़े में लेकर उन्हें जेल में डाल दिया और उन पर लगातार अत्याचार किये गये।  इसके फलस्वरूप संथाल कुछ कमजोर पड़ गये पर उन्होंने हार नहीं मानी वे लड़ते गये। 

👉अंत में परिणाम निकला कि अंग्रेजों को संथालों की कुछ बातें मानना पड़ी, अंग्रजों ने संथालों को उनकी ज़मीन वापस कर दी और संथालों को एक क्षेत्र दे दिया इस तरह संथाल विद्रोह का अंत हो गया ।

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