बरसाना की लट्ठमार होली: इतिहास और महत्व

बरसाना की लट्ठमार होली: इतिहास और महत्व


〽बरसाना की होली क्यों प्रसिद्द है? (Why is Barsana Holi famous)

भारत को पूरी दुनिया में सबसे अधिक सांस्कृतिक देश कहा जाता है. यहाँ पर लगभग हर हफ्ते कोई ना कोई त्यौहार आता ही रहता है. हालाँकि इस देश में मुख्य रूप से 3 बड़े त्यौहार मनाये जाते हैं. ये हैं; दीपावली, होली और रक्षा बंधन. इनमें होली एक ऐसा त्यौहार होता है जो कि देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. ऐसा ही एक नायाब तरीका है लठमार होली का जो कि उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के पास ही बरसाना नामक स्थान पर मनाई जाती है.

〽लठमार होली का इतिहास (History of Barsana Holi)

दरअसल बरसाना नामक जगह पर राधा जी का जन्म हुआ था और राधा जी को श्री कृष्णा भगवान की प्रेमिका माना जाता है. 
ऐसी मान्यता है कि पुराने काल में श्रीकृष्णा होली के समय बरसाना आए थे. यहाँ पर कृष्ण ने राधा और उनकी सहेलियों को छेड़ा था. उसके बाद राधा अपनी सखियों के साथ लाठी लेकर कृष्ण के पीछे दोड़ने लगीं. बस तभी से बरसाने में लठमार होली शुरू हुई थी.

〽बरसाने की लठमार होली (Lathmar Holi);

बरसाना में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर नंदगांव के लोग होली खेलने के लिए आते है. लठमार होली डंडो और ढाल से खेली जाती है, जिसमें महिलाएं पुरुषों को डंडे से मारती हैं और पुरुष स्त्रियों के इस लठ के वार से ढाल लगाकर बचने का प्रयास करते हैं. ध्यान रहे कि ऐसा नहीं है कि महिलाएं सचमुच लोगों की लाठियों से धुनाई करती हैं बल्कि यह सिर्फ खेल और दिखावे के लिए होता है.

अमूमन भारत के अन्य भागों में होली, जिस दिन होलिका का दहन किया जाता है उसके अगले दिन मनाई जाती है लेकिन मथुरा, वृंदावन, बरसाना, गोकुल, नंदगांव में कुल एक हफ्ते तक होली चलती है. हर दिन की होली अलग तरह की होती है.

〽लठमार होली की तैयारी; (Preparation of Barsana Holi)

इस लट्ठमार होली में कृष्णा के सखा कहे जाने वाले जिन्हें स्थानीय भाषा में "होरियारे" कहा जाता है, इस होली की तैयारी सुबह से ही भांग की कुटाई और छनाई के साथ शुरू कर देते हैं. दिन चढ़ने के साथ ही नंदगांव से बरसाना जाने की तैयारी शुरू होती है और रास्ते में नंदगाँव वासी रसिया गीत गाते हुए, रंग गुलाल उड़ाते हुए एक दूसरे को छेड़ते हुए बरसाना पहुँचते हैं और लट्ठमार होली खेलते हैं.
सारांश के तौर पर यह कहना ठीक होगा कि बरसाना की लट्ठमार होली भी भारत के विविध रंगों की छटा का ही एक रंगारंग रूप है.

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