जानें रात में जानवरों की आंखें क्यों चमकती हैं?

जानें रात में जानवरों की आंखें क्यों चमकती हैं?🏆


अकसर आपने ध्यान दिया होगा की रात में कुछ जानवरों की आंखें चमकती हैं ऐसा उनकी आंखों की बनावट के कारण होता है क्योंकि उसमे एक अलग प्रकार की परत होती है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि उस परत का क्या नाम है, वह किससे मिलकर बनी हैं, ऐसा क्या है जिससे जानवरों की आंखें अंधेरे या रात में चमकती हैं.

रात में कहीं घूमते वक्त या जब आप रात में कहीं घूमने गए होंगे तो अकसर आपने ध्यान दिया होगा कि कुछ जानवरों की आंखें अंधेरे में चमकती हैं. जैसे कि कुत्ता, बिल्ली, शेर, चीता, तेंदुआ आदि.

कई बार अंधेरा होने के कारण जानवर का शरीर नहीं दिखता है परन्तु उसकी आंखे जुगनू-सी चमकती हुई दिखती हैं. क्या आपने कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है, आखिर कुछ जानवरों की आंखें अंधेरे में क्यों चमकती हैं. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

💁‍♂कुछ जानवरों की आंखें रात में क्यों चमकती हैं?
कुछ जानवरों की आंखें रात में चमकती हैं क्योंकि उनकी आंखों की पुतली या आंखों के पर्दे के पीछे एक विशेष प्रकार की चमकदार परत (reflective layer) होती है जिसे टेपिटम लुसिडम (tapetum lucidum) कहा जाता है जो उनकी आंखों में फोटोरिसेप्टर्स (photoreceptors) के द्वारा अवशोषित प्रकाश की मात्रा को बढ़ा देती है.

इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि ये परत प्रकाश को परिवर्तित करती है और इस परत के कारण ही जानवर अंधेरे में भी आसानी से चीज़ों को देख पाता हैं.

जानवरों की आंखों के चमकने से एक फायदा यह भी है कि जब हम कही बहार जाते है या कोई रास्ता पार कर रहे होते हैं और यदि कोई जानवर वहां से गुजर रहा हो तो गाड़ी की रौशनी उस पर पड़ते है उसकी आंखें चमकने लगती हैं तो हमको पता चल जाता है कि जानवर गुजर रहा है.

💁‍♂आइये अब जानते हैं कि टेपिटम लुसिडम (Tapetum Lucidum) क्या है?

टेपिटम लुसिडम (tapetum lucidum) ऊतक की ऐसी परावर्तक परत है जो कई रीढ़ की हड्डी वाले जानवरों (vertebrates) और कुछ जानवर जिनमें रीढ़ की हड्डी नहीं होती है (invertebrates) उनमें भी पायी जाती है. रीढ़ की हड्डी वाले जानवर जैसे बिल्ली, कुत्ता इत्यादि. ये परत उनकी आंखों के रेटिना के पीछे पायी जाती है.

इस परावर्तक (reflective) परत का मुख्य कार्य आंखों में फोटोरिसेप्टर्स (photoreceptors) के लिए उपलब्ध प्रकाश को बढ़ाना है. फोटोरिसेप्टर रेटिना में विशेष न्यूरॉन्स होते हैं जो दृश्य प्रकाश यानी प्रकाश के फोटॉन को अवशोषित करके उनको संकेतों में परिवर्तित करते हैं ताकि शरीर में जैविक प्रक्रियाओं को बाद में ट्रिगर किया जा सके.

ये हम सब जानते हैं कि हमारी आंखों में cones और rods  सेल्स होते हैं जो हमें रंगों के बीच अंतर करने और क्रमशः रात में दृश्यता प्रदान करने में मदद करते हैं. cones और rods  सेल्स वास्तव में स्तनधारी जानवरों के रेटिना में पाए जाने वाले तीन प्रकार के फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं में से दो हैं.

इसे ऐसे समझा जा सकता है कि टेपिटम लुसिडम कुछ स्तनधारियों की आंखों के पीछे एक प्रकार का दर्पण है जिसकी सहायता से रात में उनकी आंखे चमकती हैं.



💁‍♂क्या टेपिटम लुसिडम (Tapetum Lucidum) का कोई रंग भी होता है?

यद्यपि टेपेटम ल्यूसिडम का अपना रंग भी होता है जिससे संबंधित आंखों की चमक रंग-बिरंगी होती है. इसलिए इसका रंग उन खनिजों पर भी निर्भर करता है जिनसे प्रतिबिंबित टेपिटम लुसिडम क्रिस्टल बना होता है. आंखों के सबसे आम रंगों में नीली परिधि (कुत्तों में), हरे रंग (बाघों में), सुनहरा हरा रंग या एक जैसे लैवेंडर में पीला-नीला रंग होता है. इसलिए ही तो कुछ जानवरों की आंखें  रात में अलग-अलग रंग में चमकती हैं.

तो अब आप जान गए होंगे कि कुछ जानवरों की आंखे अंधेरे में या रात में क्यों चमकती हैं और इसके पीछे क्या वैज्ञानिक कारण है

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