HISTORY OF SHIVAJI

🏆शिवाजी🏆


सत्रहवी सदी के प्रारंभिक वर्षों में जब पूना जिले के भोंसले परिवार ने स्थानीय निवासी  होने का लाभ उठाते हुए अहमदनगर राज्य से सैनिक व राजनीतिक लाभ प्राप्त किये तो एक नई लड़ाकू जाति का उदय हुआ जिसे ‘मराठा’ कहा गया. उन्होंनें बड़ी संख्या में मराठा सरदारों और सैनिकों को अपनी सेनाओं में भर्ती किया.शिवाजी शाह जी भोंसले और जीजा बाई  के पुत्र थे. शिवाजी का पालन-पोषण पूना में उनकी माता और एक योग्य ब्राह्मण दादाजी कोंडदेव के देख-रेख में हुआ था.

सत्रहवी सदी के प्रारंभिक वर्षों में जब पूना जिले के भोंसले परिवार ने स्थानीय निवासी  होने का लाभ उठाते हुए अहमदनगर राज्य से सैनिक व राजनीतिक लाभ प्राप्त किये तो एक नई लड़ाकू जाति का उदय हुआ जिसे ‘मराठा’ कहा गया. उन्होंनें बड़ी संख्या में मराठा सरदारों और सैनिकों को अपनी सेनाओं में भर्ती किया.शिवाजी शाह जी भोंसले और जीजा बाई  के पुत्र थे.शिवाजी का पालन-पोषण पूना में उनकी माता और एक योग्य ब्राह्मण दादाजी कोंडदेव के देख-रेख में हुआ था. दादाजी कोंडदेव ने शिवाजी को एक अनुभवी योध्दा और सक्षम प्रशासक बनाया. शिवाजी गुरु रामदास के धार्मिक प्रभाव में भी आये,जिसने उनमे अपनी जन्मभूमि के प्रति गौरव भाव जाग्रत किया.


💁‍♂शिवाजी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ

तोरण की विजय: यह मराठा सरदार के रूप में शिवाजी द्वारा कब्जाया गया पहला किला था, जिसने सोलह वर्षा की उम्र में ही उनमें निहित पराक्रम,दृढ़निश्चय और शासकीय गुणों का परिचय दे दिया.इस जीत ने उन्हें रायगढ़ और प्रतापगढ़ जैसे किलों पर कब्ज़ा करने के लिये  प्रेरित किया. शिवाजी की इन जीतों से परेशां होकर बीजापुर के सुल्तान ने उनके पिता शाहजी को कैद में डाल दिया. 1659 ई. में,जब शिवाजी ने पुनः बीजापुर पर आक्रमण करने का प्रयास किया,तो बीजापुर के सुल्तान ने अपने सेनापति अफजल खान को शिवाजी को पकड़ने के लिये भेजा लेकिन शिवाजी भागने में सफल रहे और अफजल खान की,अपने ‘बाघनख’ या ‘शेर का पंजा’ कहे जाने वाले खतरनाक हथियार से,हत्या कर दी. अंततः 1662 ई. में बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी के साथ शांति समझौता कर लिया और शिवाजी को उनके द्वारा जीते
गए क्षेत्रों का स्वतंत्र शासक बना दिया.

कोंडाना किले की जीत: यह किला नीलकंठ राव के नियंत्रण में था जिसके लिए मराठा शासक शिवाजी के सेनापति तानाजी मालसुरे और जय सिंह के अधीन किलेदार उदयभान राठौर के बीच युद्ध हुआ.
शिवाजी का राज्याभिषेक: 1674 ई. में रायगढ़ में शिवाजी ने खुद को मराठा राज्य का स्वतंत्र शासक घोषित किया और ‘छत्रपति’ की उपाधि धारण की. उनका राज्याभिषेक मुग़ल आधिपत्य को चुनौती देने वाले लोगों के उत्थान का प्रतीक था.राज्याभिषेक के बाद उन्होंने नव-निर्मित ‘हिन्दवी स्वराज्य’ के शासक के रूप में ‘हैन्दव धर्मोद्धारक’ (हिन्दू आस्था का संरक्षक) की उपाधि धारण की. इस राज्याभिषेक ने शिवाजी को भू-राजस्व वसूलने और लोगों पर कर लगाने का वैधानिक अधिकार प्रदान कर दिया.
गोलकुंडा के कुतुबशाही शासकों के साथ गठबंधन: इस गठबंधन के सहयोग से उन्होंने बीजापुर,कर्नाटक (1676-79ई.) पर चढाई की और जिंजी,वेल्लोर और कर्नाटक के कई अन्य किलों को जीता.

💁‍♂शिवाजी का प्रशासन

शिवाजी का प्रशासन दक्कन के प्रशासन से काफी प्रभावित था. उसने आठ मंत्रियों को नियुक्त किया जिन्हें ‘अष्टप्रधान’ कहा जाता था. ‘अष्टप्रधान’ उसे प्रशासनिक कार्यों के सम्बन्ध में सलाह प्रदान करते थे.

‘पेशवा’ सबसे प्रमुख मंत्री था जो वित्त और सामान्य प्रशासन की देख-रेख करता था.
‘सेनापति’(सर-ए-नौबत) सेना की भर्ती,संगठन,रसद आपूर्ति की देख-रेख करता था.
‘मजमुआदर’ आय-व्यय के लेखों की जाँच करता था.
‘वाकिया-नवीस’ आसूचना एवं गृह कार्यों की देख-रेख करता था.
‘शुर-नवीस’ या ‘चिटनिस’ राजा को राजकीय पत्र-व्यवहार में सहयोग प्रदान करता था.
‘दबीर’ राजा को विदेश कार्यों में सहायता प्रदान करता था.
‘न्यायाधीश’ और ‘पंडितराव’ न्याय और धर्मार्थ अनुदानों के प्रमुख थे.
उसने भूमि पर भू-राजस्व के एक-चौथाई की दर से शुल्क लगाया जिसे ‘चौथ’ या ‘चौथाई’ कहा गया. शिवाजी ने स्वयं को न केवल एक कुशल रणनीतिकार,योग्य सेनापति और चतुर कूटनीतिज्ञ के रूप में साबित किया बल्कि देशमुखी की शक्तियों का प्रयोग कर एक शक्तिशाली राज्य की नींव रख दी.

💁‍♂निष्कर्ष

अतः मराठों का उदय सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक और संस्थागत कारकों का सम्मिलित परिणाम था.जहाँ तक शिवाजी की बात है तो वे एक प्रसिद्ध शासक थे जिन्होंने मुग़ल अतिक्रमण के विरुद्ध जन-आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व किया. हालाँकि मराठा प्राचीन जाति थी लेकिन सत्तरहवीं सदी ने उन्हें स्वयं को शासक के रूप में स्थापित होने का अवसर प्रदान किया
9 रोचक तथ्य छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में 🏆

छत्रपति शिवाजी महाराज को शिवाजी या शिवाजी राजे भोसले के नाम से भी जाना जाता है | उनका जन्म 19 फरवरी, 1630 में शिवनेरी दुर्ग जो कि पुणे जुन्नर नगर में शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) की कोख से हुआ था| उनके पिताजी शहाजी राजे भोसले बीजापुर के दरबार में उच्चाधिकारी थे| शिवाजी का लालन पालन उनकी माताजी जीजाबाई जी की देखरेख में हुआ तथा उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण और प्रशासन की समझ दादोजी कोंडदेव जी से मिली थी| वह भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार थे और हम सब जानते है की उनके नाम से मुग़ल काँपते थे|1674 में उन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी।

💁‍♂आइये छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कुछ रोचक तथ्यों पर नज़र डालते है:

1 शिवाजी बहुत बुद्धिमान थे और उन्हे यह कतई मंजूर नहीं था की लोग जात पात के झगड़ों में उलझे रहे| वह किसी भी धर्म के खिलाफ नही थे | उनका  नाम भगवान शिव के नाम से नही  अपितु एक क्षेत्रीय देवता शिवाई (Shivai) से लिया गया है।

2 उन्होंने एक शक्तिशाली नौसेना का निर्माण किया था | इसलिए उन्हें भारतीय नौसेना के पिता के रूप में जाना जाता है| अपने प्रारंभिक चरणों में ही उनको नौसैनिक बल के महत्व का एहसास हो गया था | क्योंकि उन्हें यकीन था कि यह डच, पुर्तगाली और अंग्रेजों सहित विदेशी आक्रमणकारियों से स्वतंत्र रखेगा और समुद्री डाकुओं से कोंकण तट की भी रक्षा करेगा| यहाँ तक कि उन्होंने जयगढ़, विजयदुर्ग, सिन्धुदुर्ग और अन्य कई स्थानों पर नौसेना किलों का निर्माण किया। क्या आपको पता है कि उनके पास चार अलग-अलग प्रकार के युद्धपोत भी थे जैसे मंजुहस्म पाल्स (Manjuhasm Pals), गुरब्स (Gurabs) और गल्लिबट्स (Gallibats)|

3 शिवाजी युद्ध की रणनीति बनाने में माहिर थे और सीमित संसाधनों के होने के बावजूद छापेमारी युद्ध कौशल का परिचय उन्होने तब दिया जब बहुत ही कम उम्र मात्र 15 साल में 'तोरना' किले पर कब्जा करके बीजापुर के सुल्तान को पहला तगड़ा झटका दिया था। 1655 आते आते उन्होने एक के बाद एक कोंडन, जवली और राजगढ़ किलों पर कब्जा कर धीरे धीरे सम्पूर्ण कोकण और पश्चिमी घाट पर कब्जा जमा लिया था |

4 क्या आप जानते है कि बीजापुर को जीतने के लिए शिवाजी ने औरंगजेब की सहायता के लिए हाथ आगे भड़ाया था | पर ऐसा हो ना सका क्योंकि अहमदनगर के पास मुगल क्षेत्र में दो अधिकारियों ने छापा मार दिया था |

5 वह शिवाजी थे, जिन्होंने मराठों की एक पेशेवर सेना का गठन किया| इससे पहले मराठों की कोई अपनी सेना नही थी | उन्होंने एक औपचारिक सेना जहा कई सैनिकों को उनकी सेवाओं के लिए साल भर का भुगतान किया गया उसका गठन किया था। मराठा सेना कई इकाइयों में विभाजित थी और प्रत्येक इकाई में 25 सैनिक थे। हिंदू और मुस्लिम दोनों को बिना किसी भेदभाव के सेना में नियुक्त किया जाता था।

6 वह महिलाओं के सम्मान के कट्टर समर्थक थे | शिवाजी ने महिलाओं के खिलाफ दृढ़ता से उन पर हुई हिंसा या उत्पीड़न का विरोध किया था | उन्होंने सैनिकों को सख्त निर्देश दिये थे कि छापा मारते वक्त किसी भी महिला को नुकसान नही पहुचना चाहिए | यहा तक कि अगर कोई भी सेना में महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करते वक्त पकड़ा गया तो गंभीर रूप से उसे दंडित किया जाएगा |

7 पन्हाला किले (Panhala fort) की घेराबंदी से भागने में शिवाजी कामियाब हुए थे | इसके पीछे एक कहानी है वो ये कि जब शिवाजी महाराज सिद्दी जौहर की सेना द्वारा पन्हाला किला में फँस गये थे, तब इससे बचने के लिए उन्होंने एक योजना तैयार की और फिर उन्होंने दो पालकियों की व्यवस्था की जिसमें एक नाई शिव नहावीं को बिठा दिया जो बिकुल शिवाजी की तरह दिखता था और उसे किले से बाहर का नेतृत्व करने के लिए जाने को कहा,इतने में दुशमन के सैनिक नकली पालकी के पीछे चले गए और इस तरह से वह 600 सैनोकों को चकमा देकर भागने में कामियाब हुए |

8 वह गुरिल्ला युद्ध के प्रस्तावक थे | उनको पहाडों का चूहा कहा जाता था क्योंकि वह अपने इलाके की भूगोलिक,गुरिल्ला रणनीति या गनिमी कावा जैसे की छापा मरना, छोटे समूहों के साथ दुश्मनो पे हमला करना आदि अच्छी तरह से वाकिफ थे | उन्होंने कभी भी धार्मिक स्थानों या वहा पे रहने वाले लोगो के घरो में कभी छापा नही मारा |


9 उनकी खासियत थी की वह अपने राज्य के लिए बादमें लड़ते थे पहले भारत के लिए लड़ते थे | उनका लक्ष्य था नि: शुल्क राज्य की स्थापना करना और हमेशा से अपने सैनिकों को प्रेरित करना की वह भारत के लिए लड़े और विशेष रूप से किसी भी राजा के लिए नहीं |
शिवाजी के उत्तराधिकारी🏆

मराठा साम्राज्य या मराठा संघ,जो वर्त्तमान भारत के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है,ने 1674 से 1818 ई. तक शासन किया और अपने क्षेत्र का विस्तार किया.

मराठा साम्राज्य या मराठा संघ,जो वर्त्तमान भारत के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है,ने 1674 से 1818 ई. तक शासन किया और अपने क्षेत्र का विस्तार किया. शिवाजी को मराठा साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है,जिन्होंने इसे संगठित रूप प्रदान किया.परन्तु पेशवाओं(साम्राज्य के प्रधान मंत्री) के अधीन इस साम्राज्य का तेजी से विस्तार हुआ. मोरे,घाटगे और निम्बालकर सर्वाधिक प्रभावशाली मराठा परिवार थे.

💁‍♂शम्भाजी(1680-1689 ई.)

वे शिवाजी के छोटे पुत्र थे जो अपने बड़े भाई राजाराम के विरुद्ध उत्तराधिकार के युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद सिंहासनारुढ़ हुए.
उसने राजपूत-मराठा गठबंधन को टालने के लिए और दक्कन सल्तनत से अपने पुराने संबंधों की पुन:स्थापना करने के लिए,अपने पिता की विस्तारवादी नीतियों को पुनः लागू किया.
1682 ई. में मुग़ल शासक औरंगजेब अपने विद्रोही पुत्र शहजादा अकबर का पीछा करते हुए दक्षिण भारत पंहुचा.शम्भाजी द्वारा शहजादा अकबर को शरण देने के कारण औरंगजेब ने उसकी हत्या करवा दी.

💁‍♂राजाराम(1689-1700 ई.)

शम्भाजी की मृत्यु के बाद शिवाजी के दूसरे पुत्र राजाराम ने शासन संभाला और मराठों की परंपरा को आगे बढाया.
उसने मराठों की विस्तारवादी नीति को जारी रखा और दक्कन के मुग़ल क्षेत्रों पर आक्रमण करने की परंपरा की शुरुआत की.
अक्टूबर 1689 में,जुल्फिकार खान के नेतृत्व में, मुग़ल सेना ने रायगढ़ पर आक्रमण कर दिया और शम्भाजी के पुरे परिवार, जिसमे उनके पुत्र शाहू भी शामिल थे, को बंदी बना लिया गया.
1700 ई. में सतारा,जोकि जिंजी के पतन के मराठों की राजधानी बन गयी थी, में शंभाजी की मृत्यु हो गयी.

💁‍♂शिवाजी द्वितीय और ताराबाई(1700-1707 ई.)

राजाराम की मृत्यु के बाद उसकी विधवा ताराबाई ने अपने पुत्र शिवाजी द्वितीय को गद्दी पर बिठाया और स्वयं उसकी संरक्षक बन गयी.उसने नागरिक व सैन्य दोनों सन्दर्भों में संकट के समय मराठा राज्य को स्थिरता प्रदान की.
मुगलों ने चितपावन ब्राहमण बालाजी विश्वनाथ के सहयोग से ताराबाई को गद्दी से उतर दिया.

💁‍♂शाहू(1707-1749 ई.)

मुग़ल शासक बहादुरशाह  ने शाहू को कैद से मुक्त कर दिया जिसके कारण ताराबाई और शाहू के मध्य मराठा गद्दी को लेकर संघर्ष प्रारंभ हो गया.शाहू ने ‘खेड़ा के युद्ध’ (12अक्टूबर,1707) में ताराबाई को परास्त कर सतारा पर कब्ज़ा कर लिया.
उसके शासनकाल में ही पेशवाओं की शक्ति का उदय  होना प्रारंभ हुआ और मराठा राज्य के मराठा संघ में रूपांतरण की प्रक्रिया शुरू हुई.
उसी के शासनकाल के दौरान मराठा राज्य दो भागों-ताराबाई के नेतृत्व में कोल्हापुर और शाहू के नेतृत्व में सतारा ,में बंट गया. इन दोनों प्रतिद्वंदी शक्तियों के मध्य शत्रुता अंततः 1731 ई. की ‘वर्ना संधि’ के द्वारा समाप्त हुई.

💁‍♂निष्कर्ष

अतः हम कह सकते है कि शिवाजी मराठा राज्य के संस्थापक थे लेकिन उसका अत्यधिक विस्तार पेशवा-काल के दौरान ही हुआ.

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